पिछले रविवार (27 जून) शाम को नगरश्री में सम्मान और अपनी रचनाओं के प्रस्तुतिकरण का यह गौरव मुझे मिला। मैंने अपनी गजलें, राजस्थानी व हिंदी कविताएं पेश कीं। वरिष्ठ साहित्यकार श्री बैजनाथ जी पंवार के सानिध्य और प्रोफेसर श्री भंवरसिंह जी सामौर की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में शहर के बुद्धिजीवियों का खूब आशीर्वाद मिला।
मेरे प्रस्तुतिकरण के बाद श्री मोहनसिंह मानव, सेवानिवृत्त वरिष्ठ अध्यापक बाबूलाल शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार प्रदीप शर्मा मधुप, आयोजनधर्मी साहित्यकार श्री दुलाराम सहारण, डीसीटीसी प्रभारी श्री ओम फगेड़िया आदि ने मेरे प्रस्तुतिकरण पर समीक्षात्मक टिप्पणी दी।
श्री दुलाराम सहारण ने मुझे उलाहना भी दिया कि पुस्तकों के अध्ययन में लेकर मैं कुछ लापरवाह हूं। निश्चित रूप से मैं मानता हूं कि उनकी शिकायत सही है। मुझमें कहीं न कहीं इस संकल्प का अभाव ही है कि मैं अध्ययन के लिए समय अक्सर नहीं निकाल पाता हूं।
