Tuesday, August 25, 2009

कुमार अजय की ग़ज़लें



कोई अनसुना करे तो...


गीत जिंदादिली के गुनगुनाओ ज़ोर से
कोई अनसुना करे तो चिल्लाओ ज़ोर से ।

शक्लें रहें न रहें, हलचलें तो रहेंगी
तस्वीर ठहरे पानी पे बनाओ ज़ोर से ।

वहम जिंदगी के सब धरे रह जायेंगे
कच्चे धागों से रिश्ते, ना आजमाओ ज़ोर से।

मेरे सारे हबीबो-करीबी बेपर्दा हो जायेंगे
हादिसों पे मेरा मुंह ना खुलवाओ ज़ोर से ।

वो दिल टूट जायेंगे जो दर्द से ना टूटे
दोस्तों यूँ ना हमदर्दियाँ ना जताओ ज़ोर से।


हादसों के हसीं मोती ...

तिरे पहलू में बैठकर जी भर के रो लूँगा
नाराज़गी भी निभाऊंगा, इक लब्ज़ न बोलूँगा.

तुम्हारी मुहब्बत में दर्द के दरिया से कभी
निजात हो भी गई तो फिर से दिल डुबो लूँगा

तुझे मुझसे डर है मुझे तुम्हारी फ़िकर है
आखिर मैं क्यूँ ज़हर तुम्हारी जिंदगी में घोलूँगा.

इस घने जंगल में आदमी से डरता हूँ
कोई जानवर मिले तो तय है साथ हो लूँगा.

मेरी जेब में हादसों के हसीं मोती भरे हैं
वक्त मिला तो उन्हें आंसू के धागे में पिरो लूँगा.

बाहर दम घुटे हैं इक कब्र बख्स दे मौला
तिरे बन्दों से नज़र बचा के चैन से तो सो लूँगा.



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मुझे तुम भले लगे...

हर सवाल पर जीया, हर जवाब में मरा
किताब का कीडा था मैं किताब में मरा

इस शहरी का देहात में मुश्किल है गुजारा
कुए का मेंढक जैसे तालाब में मरा

हकीकतों से मेरी जीते-जी भी न बनी थी
ये ही मजबूरी थी मरा तो भी ख्वाब में मरा.

ये जो पत्थर में ढला है चौराहे पे खडा
आदमी जिंदादिल था सो इन्कलाब में मरा

मरना तो सबको था मेरी किस्मत अच्छी थी
लोग काँटों में मरे, मैं गुलाब में मरा.

मैदां में मुझे हराता, किसकी औकात थी
मैं जंग में भे लहू के हिसाब में मरा.

सुनते हैं दुनिया में अच्छे भी लोग हैं
मुझे तुम भले लगे, मैं इन्तिखाब में मरा.

मैं नई सदी का मोर पाँव देखकर रोया
जूते में दम घुटा और जुराब में मरा.

दीवाना पत्थरों में मरता मुमकिन था
जन्नत नसीब था, जुल्फों के हिजाब में मरा.

3 comments:

  1. kumar ajay,
    my compliments and best wishes to you on your achievements. i felt very happy to read your poems, informative essays and other articals. well done and keep it up. i really feel proudy the talents of my distt.
    col hs saharan

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  2. jaiprakash.prajapat@yahoo.comApril 19, 2010 at 8:23 AM

    churu ki mitti se niklne wala har particle star ban jata hhhh
    high temperature k karan dil me garmi rahti h kuch kare ki

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