Friday, April 1, 2011

एक राजस्थानी कविता

खबर

कवरेज सूं बावड़ती थकां

आपूंआप इज होग्यी सांझ माथै

सुणुं हूं कलरव

चिड़कल्यां रो चै‘चाणो

अर

कोसूं हूं खुद नैं

खबरनवीस होवणै सारू

क्यूं‘कै चिड़ियावां रो चै‘चाणो

जाबक इज अरथ नीं राखै

अखबारां सारू।

हां, आपां छापां

चिड़ियावां नैं प्रमुखता सूं

जद कै वां रो चै‘चाणो

दबोच-खसोट लियो जावै,

जद वां रो कलरव

मसळ्यो- कुचळ्यो जावै

कै फेरूं

इण जंगल रै नैमां रो

खासो जाणकार

कोयी सिकारी

चिड़ियावां रै चे‘चाट नै

बदळ देवै

छेकड़लै चीत्कार मांय।

(कुमार अजय)


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