Tuesday, November 3, 2009

क़दमों तले आसमान

कामयाबी के लिए जरूरी है जुनून
वायुसेना के परिवहन बेड़े में गजराज के नाम से मशहूर आईएल ७६ की सफल उड़ान भरने वाली प्रथम भारतीय महिला पायलट वीणा सहारण ने पुरूषों के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में धमाकेदार दस्तक दी है। खुली आंखों से सपना देखकर आकाश छूने वाली राजस्थान के चूरू जिले के एक छोटे से गांव रतनपुरा की वीणा का मानना है कि जिंदगी संघर्ष और जिंदादिली का ही नाम है। वीणा कहती हैं, जिस क्षण आपके संघर्ष खत्म हो जाएं, समझ लें कि प्रगति की संभावनाएं भी आपने खो दी हैं।
पेश हैं वीणा से हुई बातचीत के अंश-
सवाल- वीणा जी, गांव की मिट्टी से आसमान तक का ये सफर, क्या कहेंगी ?
जवाब- हमारे देश में ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकले लोगों ने बड़ी उपलब्धियां अर्जित की हैं। इसलिए ग्रामीण पृष्ठभूमि कोई डिसएडवांटेज नहीं, बशर्ते आपका उद्देश्य स्पष्ट हो और जुनून की हद तक आप कोई काम करने का माद्दा रखते हों। फिर मेरे माता-पिता ने मुझे एक बेहतरीन परिवेश दिया और मुझे निर्णय लेने में हमेशा सपोर्ट किया। आज उन्हीं की बदौलत इस ऊंचाई पर हूं। आज मैं जो भी हूं, उसके लिए अपने परिवार की ऋणी हूं और मेरी तमाम उपलब्धियों का श्रेय उन्हीं को है।
सवाल- आपकी शिक्षा-दीक्षा कहां हुई ?
जवाब- चूंकि मेरे पिता कर्नल एचएस सहारण एक ट्रांसफरेबल जॉब में थे, इसलिए मैंने भारत भर के विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में अध्ययन किया। माता-पिता दोनों ने ही मेरी पढ़ाई में बड़ा इंटरेस्ट लिया और दीदी ने भी। यही कारण रहा कि मैं शुरू से ही पढ़ाई में होशियार रही। कॉलेज एज्युकेशन मैत्रेयी कॉलेज से ली, जहां मैंने यूनिवर्सिटी गोल्ड मैडल हासिल किया।

सवाल- ऐसे शानदार शैक्षणिक रिकॉर्ड के साथ हर कहीं आपके लिए बेहतर अवसर थे, फिर सैन्य क्षेत्र चुनने की वजह ?
जवाब- पढ़ाई में होशियार होने का मतलब यह नहीं कि मैं महज किताबी कीड़ा बनकर रही। स्पोट्र्स और एडवेंचर एक्टिीविटीज में बहुत इंटरेस्टेड थी मैं। क्रिकेट और फुटबॉल मेरी पंसद हुआ करते थे स्कूली दिनों में। उन दिनों मैं भी दूसरे बच्चों की तरह इंजीनियर, पायलट, आर्किटेक्चर और आईएएस बनने के बनने के ख्वाब बुना करती थी। मैंने बचपन से ही डिफेंस लाइफ को नजदीक से देखा था और हर पासिंग ईयर में इसके लिए मेरा जुनून बढ़ता ही चला गया। मैंने कॉलेज में एनसीसी (आर्मी विंग) ज्वॉइन की और सी सर्टिफिकेट हासिल किया। साथ ही माउंटेनियंंरिंग गतिविधियां भी चलती रहींं। कॉलेज के बाद मैं आर्मी में कैरियर च्वाइस के रूप में फ्लांइग लेना चाहती थी लेकिन आर्मी एविएशन में महिलाओं का प्रवेश संभव नहीं था। तब मैंने दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इंडियन एयर फोर्स ज्वॉइन करने का निर्णय लिया और २००२ में कमीशन प्राप्त कर लिया।

सवाल- वायुसेना में प्रवेश के पहले क्या कोई उड़ान अनुभव था ?
जवाब- नहीं, छत के ऊपर से गुजरते हुए विमानों को देखा भर था , बस। आईएएफ ज्वॉइन करने से पहले १९९६ में हॉट एयर बैलून ही मेरा इकलौता उड़ान अनुभव था।
सवाल- महिलाओं के लिए गैर-परंपरागत माने जाने वाले सैन्य क्षेत्र में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा ?
जवाब- वैसे तो सैन्य बलों में प्राचीन काल से ही महिलाएं योद्धा के रूप में रही हैं, जिनकी आज हम पूजा करते हैं। फिर भी यहां सैन्य बल पुरूष केंद्रित रहे हैं। मुझे इस तथ्य ने नहीं रोका क्योंकि मेरा लक्ष्य स्पष्ट था। फ्लांइग ब्रांच में प्रशिक्षण पुरूषों और महिलाओं के लिए समान था पर मेरे भीतर अपना सर्वोत्तम देने का जुनून और कठोर परिश्रम का उत्साह था। शारीरिक और मानसिक तनाव के इस कड़े दौर में सभी प्रशिक्षक मेरे लिए महान प्रेरणा के स्रोत रहे। मेरे परिवार, मित्रों और सहकर्मियों ने मेरा साथ दिया और मेरा उत्साह बनाए रखा।

सवाल- गजराज के बारे में बताइए।
जवाब- गजराज के नाम से मशहूर आईएल-७६ अथवा एल्युशिन-७६ एक रूसी एयरक्राफ्ट है, जो १९८४ में भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ। १९० टन वजनी यह एयरक्राफ्ट ४३ टन वजन ढो सकता है। युद्ध सामग्री, राहत सामग्री और पैरा ट्रूपर्स के परिवहन में इसका उपयोग होता है। भारतीय वायुसेना के सर्वाधिक विशाल और भारवाहक इस जहाज में मध्यम आकार के टैंक तक ले जाए जा सकते हैं। इस एयरक्राफ्ट का निर्माण मॉस्को की एल्युशिन एवियेशन कॉम्पलेक्स ज्वाइंट स्टॉक कंपनी और उजबेकिस्तान में ताशकंद एयरक्राफ्ट प्रोडक्शन कॉरपोरेशन द्वारा किया जाता है।
सवाल- रिकार्ड उड़ान के वक्त आपने कैसा महसूस किया?
जवाब- आईएल ७६ की उड़ान पर मेरे स्थानांतरण की सूचना मेरे लिए खुशनुमा आश्चर्य थी। वह क्षण मेरे लिए विभिन्न भावनाओं से भरा हुआ था। मैं बेहद खुश थी, और नर्वस भी। मुझे अपने भीतर के फौलाद को इस उड़ान में साबित करना था। मैं जानती थी कि इस विशालकाय मशीन को उड़ाने वाली मैं पहली महिला बन जाऊंगी। यकीन कीजिए, इस मशीन को उड़ाना आसान नहीं था, पर असंभव तो कुछ भी नहीं। फिर वायुसेना के सर्वोत्कृष्ट विशेषज्ञ पायलटों ने मुझे प्रशिक्षित किया था। रिकॉर्ड बनाने के बाद यह सोचकर अभिभूत हूं कि मेरे माता-पिता, अध्यापक, प्रशिक्षक, सहकर्मी और मित्र मुझ पर गर्व करते हैं।

सवाल- अब अगला लक्ष्य?
जवाब- अभी मेरा उद्देश्य इस एयरक्राफ्ट पर विशेषज्ञता हासिल करना है। फिलहाल मैंने इसी पर खुद को केंद्रित कर रखा है।

सवाल- राजस्थान में महिलाओं की दशा के बारे में क्या कहेंगी?
जवाब- बाल विवाह, कुपोषण, अनचाहा गर्भ, आर्थिक आत्मनिर्भरता का अभाव, पुत्र को प्राथमिकता की मानसिकता, हीन भावना आदि बेड़ियों में राजस्थान की नारी जकड़ी हुई है। सर्वाधिक निराशाजनक तथ्य यह है कि महिलाओं ने इस दशा को ही अपनी नीयति मानकर स्वीकार कर लिया है। कुप्रथाओं का विरोध होना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य और जागरुकता पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

सवाल- युवा लड़कियों के लिए कोई संदेश?
जवाब- सर्वप्रथम, कोई सपना बुनो और उसे जियो। अपने लक्ष्य के लिए कठोर मेहनत करो। इस दौर में आत्मनिर्भरता की बहुत आवश्यकता है। ईश्वर ने हमें एक जिंदगी दी है, इसका पूर्ण उपयोग कर इसे कीमती बनाएं। जितना अधिक सीख सकती हैं, सीखें। मुसीबतों और पीड़ाओं को भूलकर महसूस करो कि जिंदगी इनसे परे भी बहुत कुछ है। जिस दिन तुमने संघर्ष करना छोड़ दिया, वह तुम्हारे विकास का आखिरी दिन होगा। इसलिए आगे बढ़ो और अपने प्रियजनों के गर्व का कारण बन जाओ। लड़कियों! तुम निर्माता हो। इस दुनिया में कुछ भी तुम्हारे लिए असंभव नहीं।

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