Tuesday, June 29, 2010

धन्यवाद नगरश्री परिवार

ऎतिहासिक महत्व रखने वाला चूरू का नगरश्री संस्थान अपने ढंग का अनूठा केंद्र है। लगातार यहां होने वाली साहित्यिक गतिविधियां जिले के साहित्यप्रेमियों के आकर्षण का केंद्र रहती है। पिछले काफी समय में प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को पं. कुंजबिहारी शर्मा की स्मृति में ‘सृजन से साक्षात्कार’ गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। गोष्ठी में किसी एक साहित्यकार को सम्मानित किया जाता है तथा सम्मानित साहित्यकार के सृजन का प्रतिनिधित्व करने वाली रचनाएं पेश की जाती हैं।
पिछले रविवार (27 जून) शाम को नगरश्री में सम्मान और अपनी रचनाओं के प्रस्तुतिकरण का यह गौरव मुझे मिला। मैंने अपनी गजलें, राजस्थानी व हिंदी कविताएं पेश कीं। वरिष्ठ साहित्यकार श्री बैजनाथ जी पंवार के सानिध्य और प्रोफेसर श्री भंवरसिंह जी सामौर की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में शहर के बुद्धिजीवियों का खूब आशीर्वाद मिला।
मेरे प्रस्तुतिकरण के बाद श्री मोहनसिंह मानव, सेवानिवृत्त वरिष्ठ अध्यापक बाबूलाल शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार प्रदीप शर्मा मधुप, आयोजनधर्मी साहित्यकार श्री दुलाराम सहारण, डीसीटीसी प्रभारी श्री ओम फगेड़िया आदि ने मेरे प्रस्तुतिकरण पर समीक्षात्मक टिप्पणी दी।
श्री दुलाराम सहारण ने मुझे उलाहना भी दिया कि पुस्तकों के अध्ययन में लेकर मैं कुछ लापरवाह हूं। निश्चित रूप से मैं मानता हूं कि उनकी शिकायत सही है। मुझमें कहीं न कहीं इस संकल्प का अभाव ही है कि मैं अध्ययन के लिए समय अक्सर नहीं निकाल पाता हूं।










1 comment:

  1. आपका प्रस्‍तुतिकरण वाकई ग़ज़ब का था। हमें कार्यक्रम का आनंद आ गया। आपको व नगरश्री को धन्‍यवाद।


    भाई अध्‍ययन के प्रति मेरा आग्रह उलाहना नहीं एक सामयिक जरूरत का प्रदर्शन था।
    आपकी विनम्रता एवं लगन आगे बढ़ने के लिए पर्याप्‍त हैं, निरंतरता रखिए।

    सस्‍नेह

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